अनेकार्थी शब्द

अनेकार्थी शब्द 
ऐसे शब्द जिनके प्रयोग के आधार पर एक से अधिक अर्थ होते हैं , अनेकार्थी शब्द कहलाते हैं। अनेकार्थी शब्दों का प्रयोग यमक और श्लेष अलंकार में सर्वाधिक देखा जा सकता है।  
जैसे -  
माला फेरत जुग भया, गया न मन का फेर।
करका मनका डारि दे, मन का मनका फेर।  ( यमक अलंकार)
यहाँ  मनका के दो अर्थ है- 1. माला के मोती 2. मन या चित्त  
इसी प्रकार -
चरण धरत चिन्ता करत, चितवत चारों ओर। 
सुवरण को खोजत फिरत, कवि,व्यभिचारी, चोर।।  
यहाँ सुवरण के तीन अर्थ हैं - 
1. कवि के सन्दर्भ में - सुन्दर वर्ण ( अक्षर)
2. व्यभिचारी के सन्दर्भ में - सुन्दर रंग ( सुन्दर रूप)
3. चोर के सन्दर्भ में - सोना ( बहुमूल्य धातु) 

कुछ अनेकार्थी शब्द एवं उनके अर्थ -
अर्थ- प्रयोजन, धन, हेतु, कारण। 
अंक- गोद, संख्या, भाग्यरेखा। 
अंश - भाग, हिस्सा, कोण का अंश, किरण। 
अनंत- अंतहीन, असीम, आकाश, विष्णु। 
अज- ब्रह्मा, बकरा, दशरथ के पिता । 
अक्ष- आँख, आत्मा, धुरी, पहिया । 
अमर-अविनाशी, देवता, पारा । 
अलि- भौंरा, शराब, कुत्ता । 
आली- सखी या मित्र ,पंक्ति  । 
अहि- नाग, सूर्य, कष्ट । 
अक्षर- वर्ण, अविनाशी,आत्मा, आकाश। 
आम- साधारण, आम (एक फल),रंज । 
अचल- पर्वत, स्थिर, दृढ। 
आली - सखी, पंक्ति । 
अनल- आग,जीव,विष्णु, ईश्वर । 
आत्मा- प्राण, अग्नि,स्वस्वरूप, सूर्य 
आँख- नेत्र,परख, संतान,छिद्र । 
उत्तर- जवाब, समाधान, एक दिशा, वाम, आवरण  । 
अच्युत - कृष्ण, अविनाशी, स्थिर । 
उग्र- प्रचण्ड , विष और महादेव  । 
कर - हाथ, किरण, टैक्स ( शासन द्वारा लगाया जाने वाला कर )  । 
कुल- वंश, पूरा  या सब  । 
काल - समय, मृत्यु ,यम  । 
खर- गधा, दुष्ट,तीक्ष्ण,  । 




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